भारतीय समग्र चिकित्सा संस्थान इंदौर द्वारा संचालित राष्ट्रीय थैलेसीमिया रोकथाम तथा उन्मूलन अभियान के अंतर्गत जनहित में जारी।
इस विषय पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1: थैलेसीमिया रोग क्या है?
उत्तर:
थेलेसीमिया एक आनुवांशिक विकार (जेनेटिकल डिसऑर्डर) है, जिसमें 6 माह की उम्र से खून की लाल रक्त कोशिकाएं समय पूर्व टूटने लगती हैं, जिसके कारण पीड़ित बच्चे को हर माह आजीवन खून चढ़ाना आवश्यक हो जाता है। जब दो सामान्य दिखने वाले व्यक्ति, जो थैलेसीमिया जीन वाहक हैं, अनजाने में शादी करते हैं, तो नवजात शिशु को यह बीमारी हो सकती है। जीवन की गुणवत्ता सामान्य से कम होगी, साथ ही वित्तीय और भावनात्मक समस्याएँ भी होंगी। इस रोग से ग्रस्त अधिकांश लोग 20 से 25 वर्ष की उम्र तक ही जी पाते हैं।1
थेलेसीमिया की दो स्थितियां हैं।
- थेलेसीमिया वाहक = थेलेसीमिया मायनर/ ट्रेट ।
- थेलेसीमिया ग्रस्त = थेलेसीमिया मेजर/ इंटरमिडियेट
थेलेसीमिया रोकथाम में हमें समाज में थेलेसीमिया वाहक ढूँढना है, ताकि दो वाहक आपस में विवाह न करें।
प्रश्न 2: हम थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चे के जन्म को कैसे रोक सकते हैं?
उत्तर:
बहुत आसान! दो थैलेसीमिया वाहकों को आपस में शादी नहीं करनी चाहिए। अगर दोनों में से एक, इस रोग की टेस्ट में वाहक पाया जाता है और दूसरा सामान्य तो विवाह निश्चिंत होकर किया जा सकता है। (जन्म लेने वाला बच्चा थेलेसीमिया ग्रस्त यानि मेजर न होगा पर वाहक हो सकता है। यानि बड़े होने पर उसे ऐसे जीवन साथी को चुनना होगा जो वाहक न हो)। यदि एक व्यक्ति का टेस्ट हो गया हैं और वह वाहक नहीं है तो, उसे अपने भावी जीवन साथी की टेस्ट की आवश्यकता नहीं है।
प्रश्न 3: क्या डॉक्टर अवलोकन द्वारा थैलेसीमिया वाहक की पहचान कर सकते हैं?
उत्तर:
नहीं, वे बिल्कुल सामान्य दिखते हैं, पहचानने के लिए रक्त परीक्षण की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 4: थैलेसीमिया वाहक अवस्था का परीक्षण किसे करवाना चाहिए?
उत्तर:
1. थैलेसीमिया ग्रस्त रोगी के पिता तथा माता पक्ष के सभी रिश्तेदारों को।
2. सभी लड़कों को, जीवनसाथी चुनने से पहले।
3. यदि लड़का थैलेसीमिया वाहक है, तो लड़की को सामान्यता के लिए परीक्षण करवाना चाहिए। दो वाहक शादी नहीं कर सकते। यदि एक वाहक है और दूसरा सामान्य – तो कोई समस्या नहीं है। इसलिए शादी से पहले परीक्षण को कानूनी रूप से अनिवार्य करना होगा।
4. गर्भावस्था के दौरान पहले रक्त परीक्षण के समय; यदि गर्भिणी थैलेसीमिया वाहक है तो पति का भी।
प्रश्न 5 : थैलेसीमिया वाहक अवस्था का परीक्षण हम कब करा सकते हैं?
उत्तर:
1. लड़कों में -12वीं कक्षा पास होने से पहले, नहीं हुआ हो तो
2. लड़कों में – शादी से पहले
3. पहली गर्भावस्था जांच के दौरान।
प्रश्न 6: थैलेसीमिया वाहक अवस्था का पता लगाने के लिए कौन सा परीक्षण करना चाहिए?
उत्तर:
पहले चरण में केवल सीबीसी (CBC) की आवश्यकता होती है। अगर डॉक्टर इसे असामान्य पाते हैं, तो ही एचपीएलसी (HPLC) (हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस) की आवश्यकता होती है। सीबीसी महंगा नहीं है, लेकिन एचपीएलसी महंगी टेस्ट है। पूर्व में की गयी सीबीसी रिपोर्ट भी मान्य होगी।
प्रश्न 7: क्या थैलेसीमिया वाहक व्यक्ति के रक्त संबंधी रिश्तेदारों को भी परीक्षण की आवश्यकता है?
उत्तर:
हां 100%
प्रश्न 8: अगर पति पत्नी दोनों थैलेसीमिया वाहक हैं तो क्या करना चाहिए?
उत्तर:
प्रारंभिक गर्भावस्था में भ्रूण का परीक्षण आवश्यक है।
प्रश्न 9: हमारे देश में थैलेसीमिया रोग कितना है?
उत्तर:
विश्व मेँ सबसे अधिक थैलेसीमिया रोगी हमारे देश में है। रोकथाम कार्यक्रम आवश्यकतानुसार नहीं हैं, इसलिए हर साल लगभग 15,000 बच्चे इस रोग के साथ जन्म लेते हैं। जबकि अन्य देशों ने आसान परंतु सुनियोजित प्रयासों से इस रोग को शून्य कर दिया है।
प्रश्न 10: क्या हमारे देश में थैलेसीमिया बीमारी के सटीक आंकड़े हैं?
उत्तर:
दुर्भाग्य से नहीं. लेकिन हम इस दिशा में काम करेंगे और पूरे देश के लाभ के लिए अंतर-शहर और अंतर-राज्यीय प्रतिस्पर्धा लाएंगे। प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। इसके लिए सार्वजनिक और सरकारी सहयोग की बहुत आवश्यकता है।
प्रश्न 11: अन्य देशों ने अपने थैलेसीमिया रोग के जन्म को शून्य कैसे किया?
उत्तर:
जन जागरण
सरकारी भागीदारी
विवाह पूर्व अनिवार्य प्रमाणपत्र
गर्भावस्था के दौरान वाहक परीक्षण
भ्रूण परीक्षण
प्रश्न 12: देश की अत्यधिक जनसंख्या को देखते हुये, व्यय नियंत्रण कैसे करें?
उत्तर:
हम वाहक खोज चरणबद्ध रूप में करेंगे।
पहले चरण में – थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चे के सभी रिश्तेदारों का। 1- 1.5 लाख बच्चों के 20-30 लाख रिश्तेदार। सबसे ज्यादा थेलेसीमिया वाहक इसी चरण में मिलेंगे।
दूसरे चरण में – विवाहयोग्य लड़कों का – जो 80 लाख से 1 करोड़ प्रतिवर्ष हैं। पहले उन प्रजातियों में जिनमें थैलेसीमिया ज्यादा है। जैसे सिंधी, पंजाबी, सिख, गुजराती, महार, कोली, सारस्वत, लोहाना, गौर, राजपूत, धनगर, तिरले कुंबी, पवार, कच्छी,भानूशाली आदि
तीसरे चरण में गर्भवती महिलाएं, जो 3 करोड़ प्रतिवर्ष हैं।
रोकथाम का खर्चा, थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों के इलाज़ से कई गुना कम हैं।
वैसे सी बी सी किन्हीं अन्य कारणों से होता ही रहता है। अपने डॉक्टर से कहें कि वह थैलेसीमिया की संभावना को भी देख कर रूल आउट कर दे।
आपके सुझाव, प्रश्न और अधिक जानकारी विचार के लिये संस्थान की वेबसाइट देंखे।
indianintegratedmedicine.in
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आपके नए विचारों तथा इस मिशन में योगदान का स्वागत है।
डॉक्टर सुषमा रावत चिटनीस
MBBS, MD Pediatrics Reg.No. 2577, MGM Medical College Indore (MP)
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जयहिन्द